Manipur News : मणिपुर में कुकी उग्रवादियों ने CRPF टीम पर किया हमला, 2 जवानों की हुई मौत, जानिए क्या है हिंसा की वजह

देवेन्द्र पाण्डेय
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Manipur Violence

Manipur News : मणिपुर में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. यहां बीते एक साल से ही हिंसा का दौर जारी है। इस इलाके में दो समुदायों के बिच यानि कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा का दौर जारी है. अब यह खबर सामने आई है की कुकी उग्रवादियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर हमला कर दिया, जिसमें सीआरपीएफ के दो जवान शहीद हो गए.

पुलिस के मुताबिक

मणिपुर पुलिस के मुताबिक शुक्रवार-शनिवार की देर रात से करीब दो बजे के बीच कुकी उग्रवादियों के हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो जवानों की जान चली गई. ये दोनों जवान मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात CRPF की 128 वीं बटालियन के थे.

बताया जा रहा है की विष्णुपुर इलाका मणिपुर में आता है और यहां पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण यानि 19 अप्रैल को वोटिंग के दौरान भी इलाके में हिंसा हुई थी. इसके साथ ही हिंसा प्रभावित कुछ इलाकों में बीते दिन 26 अप्रैल को भी मतदान हुआ था. राज्य में पहले कुकी संगठनों ने लोकसभा चुनाव का वहिष्कार किया था और न्याय नहीं तो वोट नहीं का नारा भी लगाया था.

हालांकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रदीप कुमार झा ने शुक्रवार (26 अप्रैल) को कहा था कि आखिरी रिपोर्ट मिलने तक 75 प्रतिशत मतदान हुआ और हिंसा की कोई बड़ी वारदात सामने नहीं आई है. उन्होंने बताया कि सिर्फ एक घटना सामने आई थी जिसमें ईवीएम के साथ तोड़फोड़ हुई.

Manipur News -क्या है हिंसा की वजह?

मणिपुर में कुकी, मैतेयी और नागा समुदाय के लोग रहते हैं। राज्य की लगभग 53 फीसदी आबादी मैतेयी समुदाय की है। वहीं, 40 फीसदी आबादी वाले कुकी समुदाय के अधिकतर लोग पहाड़ों में रहते हैं। नागा और कुकी आदिवासी समुदाय हैं। मैतेयी गैर-आदिवासी हैं। कुकी समुदाय लंबे समय से अलग राज्य की मांग कर रहा है, उन्हें मैतेयी लोगों के शासन में रहना पसंद नहीं है।

ऐसे में मैतेयी समुदाय ने मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि आबादी में वह ज्यादा हैं, लेकिन अधिकतर संसाधनों पर उनका हक नहीं है। ऐसे में उन्हें एससी का दर्जा मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने उनकी मांग को सही माना और राज्य सरकार से कहा कि मैतेयी समुदाय को एससी का दर्जा दिया जाए। कुकी समुदाय को लगा कि उनका हक छीना जा रहा है और इसके बाद से राज्य में लगातार हिंसा जारी है।

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ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोभूमि सिंगरौली की पावन धरा से निकला. पठन-पाठन से प्यार था लिहाजा पत्रकारिता से बेहतर पेशा कोई और लगा नहीं. अखबार से शुरु हुआ सफर टीवी और डिजिटल मीडिया के माध्यम में जारी है. इस दौरान करीब 14 साल गुजर गए पता ही नहीं चला. किसी विषय विशेष में दक्षता तो नहीं है पर अध्ययन के शौक की वजह से हर विषय में दखल जरूर है. खेल, राजनीति, खेती–किसानी और राजनीति विज्ञान में गहरी रुचि. इतिहास के पन्ने खंगालने का शौक रखता हूं. फिलहाल अभी एनडीटीवी, एबीपी न्यूज़, टाइम्स नेटवर्क के सभी ग्रुप व इंडिया टीवी जैसे बड़े न्यूज़ चैनल के लिए काम कर रहा हूं. विकास पत्रकारिता में घनघोर रुचि. जमीनी स्तर की रिपोर्टिंग करना और उसके बारे में लिखना काफी पसंद है. मैं उन चुनिंदा लोगों में से हूं जिनके लिए पत्रकारिता आज भी किसी प्रोफेशन से ज्यादा एक आंदोलन है. अपनी कमियों में सुधार और अपनी खूबियों को निखारना चाहता हूं. पॉलिटिक्स, क्राइम, इंटरटेनमेंट, क्रिकेट, फील्ड रिपोर्टिंग मेरे पंसदीदा विषय हैं. एक चीज में विश्वास करता हूं "Nothing is Impossible"
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